भारतीय न्याय व्यवस्था भी बाल मजदूरी एवं अशिक्षा के लिए प्रथम अपराधी बच्चे के माँ-बाप को ही मानती है, लेकिन क्या कोई माता-पिता अपनी इच्छा से अपने बच्चे को बाल-मजदूरी में धकेलता है ।
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आरोपी प्रथम अपराधी है, राजीनामे के आधार पर उसे दोषमुक्त किया जाकर अधीनस्थ न्यायालय द्वारा पारित निर्णय एवं दण्डादेश अपास्त किया जावे, परंतु यदि न्यायालय उसे दोषी पाता भी है, तो उसे कारावासीय सजा के स्थान पर अर्थदण्ड से दण्डित किया जावे।
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वह है, बेकसूर लोगों पर हुआ अत्याचार | अमेरिका इस अत्याचार का प्रथम अपराधी ळै| आदिम दोषी है| सद्दाम हुसैन की हत्या उसने क्यों की? एराक़ पर उसने कब्जा क्यों किया? इस्राइल को उसने अरबों की छाती पर भाले की तरह क्यों गाड़ रखा है?
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वह है, बेकसूर लोगों पर हुआ अत्याचार | अमेरिका इस अत्याचार का प्रथम अपराधी ळै | आदिम दोषी है | सद्दाम हुसैन की हत्या उसने क्यों की? एराक़ पर उसने कब्जा क्यों किया? इस्राइल को उसने अरबों की छाती पर भाले की तरह क्यों गाड़ रखा है?
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प्रस्तुत मामला धारा 147, 323 भा0द0वि0 का है, घटना दिनांक 23-9-2001 की है तथा मामला अत्यधिक प्राचीन हो चुका है, अभियुक्तगण पूर्व दोषसिद्ध तथा आदतन अपराधी नहीं है, अभियुक्तगण बिमला देवी, समुद्रा देवी तथा शारदा देवी विवाहित महिलायें हैं तथा उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं, सभी अभियुक्तगण एक ही परिवार से सम्बन्धित हैं, अतः उपरोक्त परिस्थितियों में न्यायालय को सजा के प्रश्न पर विचार करना चाहिये था कि क्या प्राविधान के अधीन परिविक्षा का लाभ अपराध के तुच्छ स्वभाव, अपराधियों का चरित्र, उनकी दशा तथा प्रथम अपराधी परिविक्षा का लाभ, दिया जाना चाहिये था अथवा नहीं।